Description |
1 online resource |
Note |
Title from eBook information screen.. |
Summary |
ये जो वक़्त का पहिया है ना ! ना तो ये कभी रूका है और ना ही कभी रूकेगा.वैसे भी कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है लेकिन कभी-कभी आदमी समय के आगे इतना बेबस और लाचार नजर आता है कि उसे अपने खुद की रची हुई अनचाही परिस्थितियों से निकलना मुश्किल हो जाता है। अगर वक़्त आपको मुझेहाँह चिढ़ाने पर आ जाए तो समझें कि ऊँट पर बैठे होने के बावजूद आपको कुत्ता काट सकता है। लेकिन अगर यही वक़्त किसी के साथ यारी कर ले तो चाय वाला भी देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। सब समय और तकदीर की बात है। अगर वक़्त और तकदीर दोनों आपके साथ हैं तो आपकी मटमैली तस्वीर के सुनहरा होने में पल भर की भी देरी नहीं लगती। फिलहाल, मैं खुद को खुशकिस्मत मानूं या नहीं, मैं खुद फैसला नहीं कर पा रहा हूं। लेकिन मेरी किताब पढ़ने के बाद आप ये राय जरूर कायम कर कसेंगे कि मेरे भूत को देखते हुए मेरा भविष्य मुझे किस दिशा में ले जाएगा। मैं आप पाठकों के ज्योतिषी होने की अपेक्षा नहीं कर रहा लेकिन इस किताब को पढ़ने के बाद आप मेरे चाल, चेहरा और चरित्र को लेकर आंकलन तो कर ही सकते हैं। तो तैयार हो जाइए बिना लाग-लपेट के मेरे बारे में अपनी राय बनाने की.मैं अपने बारे में सब कुछ लिखने जा रहा हूं, जिसकी समीक्षा आप लोगों को ही करनी है और बताना है मेरा अपराध. |
System Details |
Requires OverDrive Read (file size: N/A KB) or Adobe Digital Editions (file size: 1497 KB) or Kobo app or compatible Kobo device (file size: N/A KB) or Amazon Kindle (file size: N/A KB). |
Subject |
Fiction. |
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Literature. |
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Thriller. |
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Hindi language materials.
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Genre |
Electronic books.
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Hindi language materials.
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