मुईन निज़ामी निहायत मुहज़ब शख़्स हैं. वो सूफ़ियाने-साफ़ी के सिलसिले के हैं, फ़ारसी के अच्छे आलिम और माहिर हैं; इस पर मुस्तज़ाद ये कि वो बहुत उम्दा शायर भी हैं. ऐसे शख़्स पर लोग रश्क़ करें तो ग़लत न होगा और अगर ख़ौफ़ खायें तो भी ग़लत न होगा क्यूँकि ना-एहलों के इस ज़माने में इतनी ख़ूबियों का इज्तेमा फ़ौक़ुल फ़ितरत लगता है.
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