Description |
1 online resource |
Note |
Title from eBook information screen.. |
Summary |
कुछ सूफ़ियों के अहवालो-अक़वाल अपने ख़ास रंगो-आहंग और मुतनव्वे मानवी जिहात के सबब से मेरे लिये हमेशा से बेपनाह कशिश और तसकीने-ज़ौक़ का बाइस चले आते हैं और उनके मुकर्रर मुताले से कभी जी नहीं भरता। हज़रत बायज़ीद बस्तामी, शैख़ अबुल हसन ख़रक़ानी, हज़रत अबू सईद अबुल ख़ैर, शैख़ अहमद ग़ज़ाली ,हज़रत शम्स तबरेज़ी, मौलाना जलालुद्दीन रूमी और शैख़े-अकबर मुहीयुद्दीन इब्ने-अरबी इन्हीं मशायख़ में से हैं। इन अजायबे-रोज़गार शख़सियात में शैख़ अबुलहसन ख़रक़ानी (352/963-425/1033) बहत नुमायाँ और ग़ैर-मामूली अहमियत के हामिल हैं । वो मारूफ़ मानों में नाख़्वांदा थे मगर उनके क़ल्बो-नज़र उलूमो-मआरिफ़ का ज़िंदा रूद थे। वो ऐसा सरचशमा-ए-फ़ैज़ान थे जिन से उस अहद के अकाबिर दानिशवर और सूफ़िया भी बसद ख़्वाहिशो-इफ़्तेख़ार इक्तिसाबे-अनवार किया करते थे। बाद के ज़मानों में भी उनकी शख़्सियत और फ़िक्र से मुतास्सिर होने वाले मशाहीर की तादाद कम नहीं है। तसव्वुफ़ की शायद ही कोई अहम या उसूली या सवानही किताब उनके ज़िक्रे-जमील से ख़ाली हो। |
System Details |
Requires OverDrive Read (file size: N/A KB) or Adobe Digital Editions (file size: 203 KB). |
Subject |
Fiction. |
|
Literature. |
|
Poetry. |
|
Hindi language materials.
|
Genre |
Electronic books.
|
|
Hindi language materials.
|
|