Description |
1 online resource |
Note |
Title from eBook information screen.. |
Summary |
विष्णु जी की कविताओं में किसी को जटिल समाजशास्त्रीय विश्लेषण और दार्शनिक भंगिमाएं भले न मिलें, लेकिन हर तरफ़ बिखरे इंसानी दुःख के अनुभव का बेहद करीबी और अपनेपन से भरा साक्षात्कार ज़रूर मिलता है। यह दुःख दुनिया के तमाम शहरों में रहने वाली बदनाम औरतों का हो सकता है तो टेम्पो में घर बदलने वाले अनाम नागरिकों का भी। यह अपनी निजी सम्वेदना और समाज की आत्महीनता की आग में एक साथ जल जाने वाली लडकियों का दुःख हो सकता है तो उनके कातर पिताओं का भी। दुःख से यह परिचय अगर आपको विद्रोही और युयुत्सु न भी बनाए तो किसी आततायी का हमनिवाला बनाने से ज़रूर बचा लेगा। इस संकलन में कुंवर नारायण, अशोक वाजपेयी, राजेश जोशी, रविभूषण,सविता सिंह, दिविक रमेश, मिथिलेश श्रीवास्तव, प्रियदर्शन, जितेन्द्र श्रीवास्तव, कुमार मुकुल, पंकज चतुर्वेदी, चंद्रेश्वर, ओम निश्छल, दिनेश श्रीनेत, प्रचण्ड प्रवीर, व्योमेश शुक्ल, हरिमृदुल, अनुराधा सिंह, विपिन चौधरी, कुमार मंगलम, अभिषेक सौरभ के लेखों के जरिए विष्णु खरे के इस धड़कते हुए संसार के सभी कोनो अंतरों की जांच पड़ताल कर पाते हैं। -आशुतोष कुमार |
System Details |
Requires OverDrive Read (file size: N/A KB) or Adobe Digital Editions (file size: 639 KB) or Amazon Kindle (file size: N/A KB). |
Subject |
Fiction. |
|
Classic Literature. |
|
Fantasy. |
|
Historical Fiction. |
|
Hindi language materials.
|
Genre |
Electronic books.
|
|
Hindi language materials.
|
ISBN |
9789390605125 (electronic bk) |
|