आप यक़ीन मानिए मैं वाक़ई कोई शायर या फिर लेखक नहीं, शब्दों के कंधों पर अर्थों के बोझ डाल कर उन्हें सोच की सलाई से बुनना मुझे नहीं आता. हाँ एक जिज्ञासु घुमक्कड़ी ज़रुर कह सकते हैं आप मुझे. दुनिया घूम लेने की ख़ाहिश ने मुझे कई बार भारत के कई कोनों तक पहुँचने में मदद भी की. मेरी इस आवारागर्दी ने मुझे अनेकों बार बेशक़ीमती एहसासात के साथ कभी सुबह की चाय तो कभी देर रात तक तारों को ताकना सिखा दिया. मोहब्बत.
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