Description |
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Note |
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Summary |
इस किताब के ज़रिये लेखक ने ज़िन्दगी को क़रीब से देखने-समझने की कोशिश की है। शीर्षक कहानी 'अब पल्लवी आज़ाद थी' समाज में महिलाओं की अभिव्यक्ति की आज़ादी की अवधारणा को पुख्ता करती है। बात करें अगर व्यवहारिक या पारिवारिक संबंधों की तो इसे अपने नज़रिये से देखना नीरस काम हो सकता है लेकिन जब इन्हीं संबंधों को दुनिया के चश्मे से देखना हो तो सोच का दायरा और गूढ़ और रोमांचक हो जाता है। कहानी 'नागिन चाय' की बात करें तो भावनात्मक और भौतिकवादी दोनों ही तरह का नज़रिया रखने वालों के लिए इस कहानी को पढ़ना अनिवार्य सा लगेगा। कहानी ' पारो और चंन्द्रमुखी' अपने अंदर कहीं हास्य रस, रौद्र रस, श्रृंगार रस तो कहीं करूण रस और अद्भुत रस को बारीकी से समेटे हुए है। लाचार पति की बेबसी की अनुभूति लेनी हो या पति-पत्नी के बीच तीखी नोंक-झोक के तड़के का एहसास करना हो या फिर अल्हड़ प्यार के साथ-साथ शुद्ध देसी रोमांस के मिज़ाज का मज़ा लेना हो तो 'दिल उल्लू का पट्ठा' जैसी कहानी आपके अंदर सोई हुई रूमानियत को जगाने का काम करेगी और आपके दिल को रोमांचित भी करेगी। युवा पीढ़ी की प्यार के करिश्माई अनुभवों को भी इस कहानी संग्रह में ख़ास तवज्जो दी गई है। इश्क़ के लिए प्रेरित करती कहानियों के साथ 'लव ३६' जैसी कहानी महानगरों में पनपने वाले अतरंग विवाहेत्तर संबंधों के विलक्षण तरीक़ों से पाठकों को रूबरू कराएगी। इस कहानी संग्रह में शामिल कहानियों में महज़ अल्हड़ता ही नहीं छिपी है बल्कि 'एवरबेस्ट गिफ्ट' जैसी कहानी भावना प्रधान लोगों की आँखों को बार-बार भिगोने का काम करेगी। |
System Details |
Requires OverDrive Read (file size: N/A KB) or Adobe Digital Editions (file size: 283 KB) or Amazon Kindle (file size: N/A KB). |
Subject |
Fiction. |
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Literature. |
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Hindi language materials.
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Genre |
Electronic books.
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Hindi language materials.
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