छात्र जीवन में, माँ-बाप से दूर होने का ग़म तो हर किसी को होता है। लेकिन जब उसी ग़म से भरे जीवन में कुछ कहानियाँ ऐसी मिल जाएँ जो दुखी जीवन में सुख के तड़के का काम करें तो काली बदरी भी अपना रुख़ मोड़ती हुई दिखती है।
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